लिखती हूँ मैं
कविताएं
क्यूंकि अच्छा लगता
है
मुझे
उकेरना खुद को , शब्दों
में
और यही है मेरी असली पूंजी
जो जिंदा रहेगी
मेरे
साथ
भी..
और मेरे बाद
भी..
शायद जब कभी
पढ़ोगे
तुम
पलट कर डायरी
के
पन्ने
तो ज़हन में याद आऊंगी मैं
और मुझसे जुड़ी हुई कई बातें.. ,कई यादें...
जो भिगो देगी
तुम्हारी
पलकों
को
शायद
पर इतना तो
यकीन
है
मुझे
कि
भीगी पलकों में
भी
मुझको याद करके
तुम मुस्कुराओगे ज़रूर....है ना
😀
प्रेरणा अरोड़ा