बचपन से लेकर आज तक
यही हुआ है मेरे साथ...
शायद सबके साथ होता है
मगर एक लड़की के साथ
थोड़ा ज्यादा होता है ....
जन्म से लेकर अब तक
हर कोई आपको बदलने,
सुधारने का प्रयास करता है
जब छोटे थे तो स्कूल में हर टीचर
अपने हिसाब से
घर में दादी ,मां ,मासी ,बुआ,पिताजी
अपने हिसाब से
हम को बेहतर बनाने में लगे रहे
फिर जैसे-जैसे बड़े होते गए
दोस्त , रिश्तेदार, जिन-जिन को
अपने हिसाब से बदलना था हमको
वह देते रहे सलाह
गिनाते रहे ऐब हमारे अंदर
और करते रहे किरदार में कांट छांट
सब अपने हिसाब से
हमें मोड़ते गए ,तोड़ते गए
जीवन में जो भी लोग आए
सभी का यही कहना था कि
यह सब तुम्हारी बेहतरी के लिए है
सभी को कुछ ना कुछ कमी लगी हममें
सभी को कुछ ना कुछ
सुधार की गुंजाइश लगी हममें
किसी ने भी हमें वैसे ही
नहीं अपनाया जैसे "हम थे"
और इस बेहतर बनने के चक्कर में
हम कितनी बार टूटे
कितनी बार तराशे गए
उस दर्द का अंदाजा
शायद किसी को भी नहीं है
क्योंकि हमारे मन तक
पहुंच ही नहीं पाया कोई ....
क्या किसी ने समझा
कि परिपूर्ण कोई नहीं होता
और खामियों का भी अपना ही मजा है
जो आपको जैसे हो वैसे ही
अपना ले वही सच्चा प्रेम है
क्या है आप के जीवन कोई ऐसा रिश्ता
जो आप पर मरता है 💗
या आपको खोने से डरता है 😍
प्रेरणा अरोड़ा