Unposted - चिट्ठियां
वह रोज लिखता था मुझे एक खत
बंद लिफाफे में भेजता था
अपनी भावनाएं मुझ तक.. डाक से
मुझे हमेशा इंतजार रहता था
उसके लिखे खतों का
मोती सरीखे अक्षरों में
पिरोता था अपनी कल्पनाएं
अपने एहसास ...अपने जज्बात
और मेरे लिए ढेर सारा प्यार 💓
बदले में उम्मीद करता था
कि मैं भी उसे भेजूं प्रेम भरी पाती
पर कैसे भेजती चिट्ठी उसके नाम से
थे मुझ पर अनेकों बंधन, समाज का डर
नाराज था वह मुझसे
पर कैसे समझाती उसको
कि दिल की कुछ बातें
लफ्जों में कहना जरूरी नहीं होता
और आंखों की भाषा समझने के लिए
उससे मिलना जरूरी होता
कहां संभव था उसे दौर में
इतनी आसानी से प्रेमी प्रेमिका का मिलन
यहीं से अंत हो गया हमारे प्रेम का
क्योंकि मेरे पास जमा रह गई ढेर सारी चिट्टियां
और उसके पास जमा रह गई ढेर सारी शिकायते
इस तरह इश्क हमारा मुकम्मल ना हो सका
जो दफन था मेरे सीने में
वो खत के जरिए उस तक ना पहुंच सका
प्रेरणा अरोड़ा