" पिया "
ये मेहंदी लगे मेरे हाथ
कलाइयों में चूड़ियों की खनकार
माथे पर सजती है जब बिंदिया लाल
तुझे देखकर गाल हो जाते हैं गुलाल
आंखों की सारी चमक तुम्हारे लिए है पिया
मेरी हर सांस हर धड़कन को
मैंने तुम्हारे नाम किया
बंधे थे सात फेरों के बंधन से एक दिन
मगर धीरे-धीरे कब यह रिश्ता
पति पत्नी से बढ़कर
हम-सफर हम-दोस्त का हो गया
पता ही ना चला
यूं तो जीवन में लोग दोस्ती से शादी की ओर बढ़ते हैं
मगर हम चले कुछ उल्टे,.....
कुछ अनोखे ...कुछ अलग.......
हम बने पति पत्नी से सबसे अच्छे दोस्त
हम-राज़... हम-कदम ....हम-राह.... हम-सफर
टूटें न कभी ये बंधन हमारा
साथी तुम हमेशा मेरा साथ निभाना
प्रेरणा अरोड़ा