महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
गर्मी की तपती दोपहरी में जब घरेलू महिला सोती है आराम से ठंडी हवा में
कामकाजी महिला लगी रहती है ऑफिस के काम में
बारिश की फुहारों का आनंद लेते हुए जब , घरेलू महिला पीती है गर्म चाय की चुस्की
तब कामकाजी महिला को सताती है चिंता आंगन में पड़े कपड़ों की , जो अब तक गीले हो गए होंगे
घरेलू महिला अपने बच्चों के रोते ही , उसे समेट लेती है अपने ममता भरे आंचल में
तब कामकाजी महिला निपटाती है ऑफिस का काम जल्दी जल्दी , ताकि पहुंच सके अपने बच्चों के पास समय से
घरेलू महिला जब मनाती है तीज त्यौहार बड़े जतन से , सजाती है मेहंदी अपने हाथों में
उस समय कामकाजी महिला मन मसोसकर भागती दौड़ती , पूरे करती है हर रीति रिवाज एक मशीन सी
घरेलू महिला महीने के अंत में कुछ ना पाकर भी ,सुकून महसूस करती हैं क्योंकि परिवार ही उसका धन है
वही कामकाजी महिला निभाती है दोहरी जिम्मेदारी, फिर भी दिन ढलने पर रह जाती है कुछ कसक बाकी
घरेलू महिला जाती है पीहर ,ससुराल ..लगाती है गप्पे करती है गली मोहल्ले की पंचायत
वही कामकाजी महिला कई सवाल कई भावनाएं मन में दबा लेती है , उसे नहीं है फुर्सत इन चीजों के लिए
"महिला" होना मानव जगत में "श्रेष्ठ" है
पर कामकाजी महिला होते हुए मुस्कराहट के साथ जीना "सर्वश्रेष्ठ" है