धन की देवी लक्ष्मी जी को मनाने के लिए घर की लक्ष्मी कर रही है पूरा इंतजाम
महीने भर से कर रही है वह घर की सफाई और काम काम काम
सजा रही है घर को आंगन में बना रही है रंगोली
रसोई घर आ रही है खुशबू मठरिया बन रही है पोली पोली
सबका मुंह मीठा कराने का इंतजाम भी है उसके पास
बच्चों बड़ों मेहमानों की पसंद सबके लिए है कुछ ना कुछ खास
जो कर रही है इतना सब के लिए बिना थके बिना करे कोई आराम
क्या दे रहा है कोई उसकी तरफ भी ध्यान
घर के हर कोने को सजाते सजाते
ससुराल की रीति रिवाज निभाते निभाते
भूल जाती है कई बार खुद को सजाना
अपनी इच्छाओं को मारकर बनाती है कोई बहाना
इस दिवाली आओ घर की सच्ची लक्ष्मी को मनाये
थोड़ा सा वक्त और प्यार उस पर भी लुटाए
बताएं उसे यह मकान उसके होने से ही घर बनता है
वह नहीं रहे तो घर का आंगन रंगोली सजने पर भी सुना लगता है
करें तारीफ उसकी उसके बनाए खाने की, उसकी सजावट की
सीमित बजट में सबका मन रखने की
दे उसे कुछ देर का आराम
नजरों से लुटाए प्यार और सम्मान
उसके लिए यही दिवाली का सच्चा उपहार है
अगर घर की लक्ष्मी खुश तो हर दिन त्योहार है
प्रेरणा अरोड़ा