हर बार में क्यों हार जाती हूं
जिंदगी में संघर्षों के उपहार पाते हैं
क्यों हर बार मेरे ख्वाब बिखर जाते हैं
मंजिल पाने से पहले कदम खुद-ब-खुद लौट आते हैं
तनहाइयां क्यों बन गई है जिंदगी
मेरी और भीड़ में भी क्यों मैं लगती हूं अकेली
साथ मेरे सिर्फ कलम और भावनाएं
जिनके सहारे कोरे कागज पर उकेरती हूं कल्पनाएं
बहती है मन की धारा ,भावनाएं छलछलाती है
और कलम की स्याही से कागज के हृदय पर
जो शब्द लिखे जाते हैं साहित्य में वही "कविता" कहलाती है
लोग कहते हैं लेखनी होती है प्रभु की देन
हर किसी के बस में नहीं कर पाना शब्दों का ऐसा मेल
पर मैं अपने एहसास अपनी भावनाओं को
बस मन हल्का करने के लिए लिख देती हूं कागज पर
अगर लोगों को यह काव्यगत माला लगे
शब्दों का जाल लगे साहित्य का सामान लगे
तो हर आम आदमी बन सकता है कवि
क्योंकि अपने सुख को दुख को हार को जीत को
दिल से निकले हर एहसास और जज्बात को
बस मन हल्का करने के लिए लिख दो कागज पर
अगर आपकी भावनाएं पाठक के मन को छूती है
आप के दर्द पर हर एक आंख रोती है
तो आप हैं एक सफलतम कवि
आप में है मां सरस्वती की छवि
आपकी भावनाएं और एहसास
📖HAPPY WORLD POERTY DAY📖
प्रेरणा अरोड़ा